MEHANDI (1)
"दर्द का एहसास होगा तुझे भी कभी और यह भी याद आएगा
कोई था जो तुझे चाहा था और तुझे साड़ी उम्र चाहते जायेगा""
"और हम जानते है मोहब्बत क्या है तुझे mallom नहीं
यह झूठी हंसी दीखाने से क्या होगा
किसी को चाहो तो चाहने से क्या होगा
हवाएं भी जानती है गुनाहगार कौन है
आपकी बेवफाई छुपाने से क्या होगा
हाथो मैं सिर्फ मेहंदी लगाने से क्या होगा
और जब तेरी फितरत की Numaaich हो जाएगी
उस समय अपने को पाक बताने से क्या होगा
और यदि तेरा एहसास ही मर गया है तो
पत्थर मैं सर पटकने से क्या होगा
ए खुदा तू यह बता हमने तो अपने हिस्से की मोहब्बत की सजा बरती है
तेरा इन्साफ मैं बेवफाई की सजा क्या होगा "